“ॐ श्री गणेशाय नमः ” सर्व प्रथम आप सभी मित्रों का मैं वेबसाइट visit करने के लिए अभिनन्दन करता हूँ ,चाहे हम ज्योतिष में विश्वाश रखते हों या न रखते हों लेकिन जीवन के अनेक बिन्दुओं पे एक के बाद एक हम अनेक दुःख एवं निराशा से घिरते जाते हैं, तब एक समय बाद हमको ये मानना ही पड़ता हैं की सम्पूर्ण ब्रम्हांड में कुछ बहुत ही शक्तिशाली शक्तियां हैं, जो हमारे जीवन को दिशा देती हैं, और जिनके पास हमारे भाग्य और जीवन को बदलने की बड़ी ताकत है , जहाँ तक ज्योतिष शास्त्र का सवाल है ज्योतिष विज्ञान एक प्रयत्न हैं मनुष्य के भाग्य को समझने का और एक प्रयास है मनुष्य के जीवन को सुखमय बनाने का| और मैं आपको समय समय पर उपाय और समाधान इस वेबसाइट के माध्यम से बतलाता रहूँगा , आप आगे बढ़ो यही मेरी कामना है.
डॉ0 अमित कुमार उपाध्याय
(ज्योतिर्विद एवं अर्थशास्त्री )
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कुंडली विश्लेषण : मैं आपको कुंडली के बारे में मुख्य पृष्ठ पर एक सामान्य सी जानकारी दे रहा हूँ , आगे हम इस विषय पर और बातें करेंगे , किसी भी जीव पर सम्पूर्ण अंतरिक्ष मंडल का हर प्रकार से प्रभाव रहता है , जीव के जन्म लेने से मृत्यु तक , कुंडली को यदि वैज्ञानिक दृष्टि से अध्ययन किया जाये तो ये पूरी तारा गणित पर निर्भर करता है |
जन्म से मृत्यु तक कुंडली के 12 भाव. मनुष्य के लिए संसार में सबसे पहली घटना उसका इस पृथ्वी पर जन्म है, इसीलिए प्रथम भाव जन्म भाव कहलाता है। जन्म लेने पर जो वस्तुएं मनुष्य को प्राप्त होती हैं उन सब वस्तुओं का विचार अथवा संबंध प्रथम भाव से होता इसी प्रकार अन्य सभी भावों का सम्बन्ध भी समस्त जीवन में घटित होने वाली घटनाओं से होता है| Shivasheesh Jyotish में हम प्रतिदिन अनेक जातको की कुंडली का विश्लेषण करते हैं और उन सभी को सुझाव प्रदान करते हैं | आप किसी भी प्रकार से परेशान न हों , ईश्वर में विश्वास रखें , किसी प्रश्न हेतु संपर्क करें —
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हाथों में दिखाई देने वाली रेखाएं और हमारे भविष्य का गहरा संबंध है। इन रेखाओं का अध्ययन किया जाए तो हमें भविष्य में होने वाली घटनाओं की भी जानकारी प्राप्त हो सकती है। वैसे तो हाथों की सभी रेखाओं का अलग-अलग महत्व होता है। किसी व्यक्ति को कितना मान-सम्मान और पैसा मिलेगा यह भी रेखाओं से मालुम हो जाता है। यहां दिए गए फोटो में देखिए और समझिए आपके हाथों की रेखाएं क्या कहती हैं.
हथेली के अलग-अलग क्षेत्र, जिन्हें हस्तरेखा शास्त्र में हथेली के पर्वत कहा जाता है, वे चुंबकीय केंद्र हैं। इन केंद्रों का मस्तिष्क के उन केंद्रों से संबंध है जो मानव के मनोभावों पर नियंत्रण करते हैं। हथेली के ये पर्वत मस्तिष्क में तैयार होने वाली विद्युत तरंगों को आकृष्ट करते हैं और हस्तरेखाएँ उन तरंगों के मार्ग हैं।
रत्न सुझाव : अनिष्ट ग्रहों के प्रभाव को कम करने के लिए या जिस ग्रह का प्रभाव कम पड़ रहा हो उसमें वृद्धि करने के लिए उस ग्रह के रत्न को धारण करने का परामर्श ज्योतिषी देते हैं।
वास्तु सुझाव : व्यवसाय में लाभ के लिए जरूरी है कि आप जहां कारोबार कर रहे हैं वहां धन आगमन की अनुकूल स्थिति हो। यह अनुकूल स्थिति तब बनती है जब दुकान या व्यापारिक प्रतिष्ठान का वास्तु सही हो नहीं तो मेहनत और समय खर्च करने के बाद भी लाभ को लेकर निराशा जनक स्थिति बनी रहती है।